मैं भी रोऊंगा सिसककर तुम भी रोओगी।
जाओगी तुम भी मुझे,छोड़कर इक दिन प्रिय।
मैं भी रोऊंगा सिसककर तुम भी रोओगी।
अश्रुओं का मोल तब कुछ रह न पाएगा।
अश्क मन चितवन नयन से जब गिराएगा।
स्नान कर दरिया में मन के तुम भी जाओगी।
मैं भी रोऊंगा सिसककर तुम भी रोओगी।
मन के भावों से विमुख होना पड़ेगा।
मेरा भी मन मन से मन में तब लड़ेगा।
यवनीका मनके द्वारे तुम लगाओगी।
मैं भी रोऊंगा सिसककर तुम भी रोओगी।
तुमको ये सारे हसीं पल याद आएंगे।
आत्मा के जब गगन में मेघ छाएंगे
तब गमों की मुझ पे बिजली तुम गिराओगी।
मैं भी रोऊंगा सिसककर तुम भी रोओगी।
जाओगी तुम भी मुझे,छोड़कर इक दिन प्रिय।
मैं भी रोऊंगा सिसककर तुम भी रोओगी।
©®दीपक झा "रुद्रा"
Chirag chirag
09-Dec-2021 05:39 PM
Nice
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Seema Priyadarshini sahay
05-Dec-2021 01:20 AM
बहुत खूबसूरत रचना
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आर्या मिश्रा
05-Dec-2021 01:05 AM
Nice
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